निःसंतानता (Infertility) के इलाज के दौरान डॉक्टर कई प्रकार की जांचें (tests) करवा सकते हैं, ताकि वे समस्या के कारण को पहचान सकें और सही इलाज की सिफारिश कर सकें। यहाँ पर कुछ प्रमुख जांचें दी गई हैं:
1. सीमन टेस्ट (Semen Analysis): पुरुषों की निःसंतानता के मुख्य कारणों में से एक होती है स्पर्म की कमी। सीमन टेस्ट के माध्यम से स्पर्म की संख्या, गति, आकार, और बनावट की जाँच की जाती है।
2. गर्भाशय व योनि की जांच (Vaginal and Uterine Evaluation): महिलाओं की निःसंतानता के कारणों में गर्भाशय और योनि की समस्याएँ भी शामिल हो सकती हैं। इसके लिए गर्भाशय की सोनोग्राफी, हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी (HSG), और अन्य जाँचें की जा सकती हैं।
3. हार्मोन जाँच (Hormone Testing): हार्मोनल असंतुलन भी निःसंतानता का कारण हो सकता है। इसलिए, डॉक्टर महिलाओं की हार्मोन जाँच कर सकते हैं, जैसे कि फोलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH), ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन (LH), प्रोलैक्टिन, की जांच की जाती है।
4. ओवुलेशन जाँच (Ovulation Monitoring): डॉक्टर किसी महिला की अंडाणु की समस्या को पहचानने के लिए ओवुलेशन मॉनिटरिंग कर सकते हैं, जिसमें ब्लड टेस्टिंग और सोनोग्राफी की जाती है।
5. थायरोइड जाँच (Thyroid Testing): निःसंतानता की समस्याएँ भी थायरोइड के कारण हो सकती हैं, इसलिए थायरॉयड जाँच की जाती है।
6. ट्यूब जाँच (Tubal Evaluation): फैलोपियन ट्यूब्स की चेकअप के लिए हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी (HSG) जैसी जाँच की जा सकती है, जो ट्यूब की प्रत्यक्षता बढ़ाने में मदद करती है।
7. जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing): कई बार, जेनेटिक विकार किसी दंपत्ति के निःसंतानता का कारण हो सकता है, इसलिए जेनेटिक टेस्टिंग की भी जरुरत हो सकती है।
निःसंतानता के कारण का पता लगाने के लिए राजस्थान के बेस्ट फर्टिलिटी डॉक्टर के सुझाव पर जांच की जाती है और फिर उन्हीं के सुझावों के आधार पर उपचार आगे बढ़ाया जाता है।
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