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अशुक्राणुता (एजुस्पर्मिया) के कारण, लक्षण और उपचार (Azoospermia in Hindi)

अशुक्राणुता - Neelkanth IVF

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अशुक्राणुता क्या है? (Azoospermia in Hindi )

अशुक्राणुता, जिसे अंग्रेज़ी में “एजुस्पर्मिया” (Azoospermia) कहते हैं, पुरुषों में होने वाली एक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें वीर्य में शुक्राणुओं की अनुपस्थिति होती है। इस स्थिति में पुरुष संतान उत्पन्न करने में असमर्थ हो जाते हैं क्योंकि उनके वीर्य में पर्याप्त शुक्राणु नहीं होते हैं। अशुक्राणुता पुरुष बांझपन का एक प्रमुख कारण है, और इसका समय रहते निदान और उपचार आवश्यक होता है।

अशुक्राणुता के प्रकार (Types of Azoospermia in Hindi ) 

अशुक्राणुता को दो प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. ओब्स्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया ( Obstructive Azoospermia in Hindi ) 

ओब्स्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया में शुक्राणु निर्माण तो होता है, लेकिन किसी अवरोध के कारण यह वीर्य तक नहीं पहुँच पाते। यह अवरोध शुक्राणु वाहिनी (Vas deferens) या अंडकोष के किसी अन्य हिस्से में हो सकता है। अवरोध के कारण शुक्राणु निष्कासन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे वीर्य में शुक्राणु नहीं पाए जाते।

2. नॉन–ओब्स्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया ( Non – Obstructive Azoospermia in Hindi )

नॉन–ओब्स्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया में शुक्राणु का निर्माण ही नहीं हो पाता है। यह स्थिति मुख्यतः हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिक कारण, या अंडकोष की असामान्यता के कारण उत्पन्न होती है। इस स्थिति में उपचार की प्रक्रिया जटिल होती है और अक्सर चिकित्सा के माध्यम से ही इसके समाधान की संभावना होती है।

अशुक्राणुता के कारण (Azoospermia Ke Karan )

  1. आनुवांशिक कारण

कुछ पुरुषों में जन्म से ही शुक्राणु निर्माण में समस्या होती है, जो उनके आनुवंशिक संरचना पर निर्भर करती है। क्रोमोसोमल असामान्यता, जैसे क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम या Y क्रोमोसोम में माइक्रोडिलीशन, भी अशुक्राणुता के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं।

  1. शारीरिक समस्याएं

कई बार शुक्राणु वाहिनी में अवरोध या अंडकोष में संरचनात्मक असामान्यता भी शुक्राणु निर्माण को प्रभावित करती हैं। अंडकोष में संक्रमण, घाव, या जन्मजात विकार भी शुक्राणु की अनुपस्थिति का कारण बन सकते हैं।

  1. हार्मोनल असंतुलन

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन्स का संतुलन शुक्राणु निर्माण के लिए आवश्यक होता है। हार्मोनल असंतुलन के कारण शरीर में शुक्राणु निर्माण की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

  1. जीवनशैली और अन्य कारण

जीवनशैली संबंधी कारक, जैसे धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन, और असंतुलित आहार भी अशुक्राणुता का कारण बन सकते हैं। अधिक तनाव, नींद की कमी और अत्यधिक वजन भी इस स्थिति में योगदान देते हैं।

एजुस्पर्मिया के लक्षण ( Symptoms of Azoospermia in Hindi )

अशुक्राणुता के मुख्य लक्षण वीर्य में शुक्राणु की अनुपस्थिति और यौन क्षमता में कमी के रूप में सामने आ सकते हैं। इसके कुछ अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • यौन क्रिया में रुचि की कमी
  • वीर्य की मात्रा में कमी
  • कामोत्तेजना में कमी और शीघ्रपतन की समस्या
  • हार्मोनल असंतुलन से शरीर में थकान और कमजोरी का अनुभव

एजुस्पर्मिया का निदान कैसे होता है?

  1. स्पर्म टेस्ट

स्पर्म टेस्ट से यह पता लगाया जाता है कि वीर्य में शुक्राणु हैं या नहीं। इस परीक्षण में शुक्राणुओं की गुणवत्ता, गतिशीलता और संख्या की जाँच की जाती है।

  1. अल्ट्रासाउंड और अन्य मेडिकल परीक्षण

शरीर में किसी अवरोध की पहचान के लिए अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, या एमआरआई किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त हार्मोनल परीक्षण से टेस्टोस्टेरोन, FSH, और LH हार्मोन्स का स्तर मापा जाता है।

अशुक्राणुता का उपचार ( Treatment of Azoospermia in Hindi )

अशुक्राणुता का इलाज उसके कारण और प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ मुख्य उपचार विकल्प निम्नलिखित हैं:

  1. दवाओं से उपचार

यदि अशुक्राणुता हार्मोनल असंतुलन के कारण है, तो इसे दवाओं द्वारा संतुलित किया जा सकता है। दवाएं टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोन के स्तर को सुधारने में मदद करती हैं।

  1. सर्जरी से उपचार

ओब्स्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया में सर्जरी से अवरोध को दूर किया जा सकता है। वैसोवासटॉमी, टीईएसई, या माइक्रो टीईएसई जैसी प्रक्रियाएं शुक्राणु को अंडकोष से निकालकर उन्हें वीर्य में मिलाने का कार्य करती हैं।

  1. हार्मोनल थेरेपी

हार्मोनल असंतुलन के मामलों में हार्मोनल थेरेपी द्वारा FSH और LH जैसे हार्मोन्स को संतुलित किया जाता है, जिससे शुक्राणु निर्माण में वृद्धि होती है।

घरेलू उपचार ( Azoospermia Ke Gharelu Upchar)

आहार और योग का महत्व

स्वस्थ आहार, जैसे कि प्रोटीन, विटामिन C, D और एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार का सेवन करने से फर्टिलिटी बढ़ती है। नियमित योग और ध्यान से तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे शुक्राणु निर्माण में सुधार होता है।

अशुक्राणुता में निसंतानता के उपचार ( Infertility Treatment in Azoospermia in Hindi )

अशुक्राणुता (एजुस्पर्मिया) के कारण निसंतानता की समस्या को दूर करने के लिए कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं। प्रत्येक उपचार विकल्प को व्यक्ति की स्थिति, अशुक्राणुता के प्रकार और इसके कारण के आधार पर चुना जाता है। नीचे अशुक्राणुता के कारण निसंतानता के उपचार के कुछ प्रमुख विकल्प दिए गए हैं:

1. हार्मोनल उपचार

यदि अशुक्राणुता का कारण हार्मोनल असंतुलन है, तो हार्मोनल थेरेपी दी जाती है। डॉक्टर द्वारा FSH, LH और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। हार्मोनल उपचार से न केवल शुक्राणु निर्माण में वृद्धि होती है, बल्कि फर्टिलिटी भी बेहतर होती है।

2. दवाओं द्वारा उपचार

कुछ मामलों में, अशुक्राणुता का कारण सूजन या संक्रमण हो सकता है। ऐसे मामलों में एंटीबायोटिक्स और सूजन कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं अंडकोष और शुक्राणु वाहिनी के कार्य को सुधारने में मदद करती हैं। यदि शुक्राणु उत्पादन में कुछ हद तक कमी है, तो डॉक्टर ऐसी दवाएं भी दे सकते हैं जो शुक्राणु निर्माण को बढ़ावा देती हैं।

3. सर्जिकल उपचार

(i) वैसोवासटॉमी और TESA

ओब्स्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया में, जब शुक्राणु वाहिनी में अवरोध होता है, तो इसे दूर करने के लिए वैसोवासटॉमी या TESA (Testicular Sperm Aspiration) सर्जरी की जाती है। वैसोवासटॉमी के माध्यम से अवरोध को हटाया जाता है ताकि शुक्राणु वीर्य तक पहुँच सकें।

(ii) माइक्रो टीईएसई (Micro TESE)

नॉन–ओब्स्ट्रक्टिव एजुस्पर्मिया में, जब शुक्राणु निर्माण में समस्या होती है, तब माइक्रो टीईएसई का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में माइक्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा अंडकोष के ऊतक से शुक्राणु निकाले जाते हैं, जिन्हें IVF (इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन) प्रक्रिया में उपयोग किया जा सकता है।

4. इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI)

जब वीर्य में शुक्राणु नहीं होते, तो IVF और ICSI प्रक्रियाएं सहायक हो सकती हैं। ICSI में अंडाणु में सीधे शुक्राणु इंजेक्ट किया जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। माइक्रो TESE जैसी प्रक्रियाओं से निकाले गए शुक्राणु का उपयोग IVF में किया जा सकता है, जिससे बांझपन की समस्या दूर हो सकती है।

5. आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन

अगर शुक्राणु की मात्रा कम है या उनके चलने की गति में समस्या है, तो आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन का सहारा लिया जाता है। इस प्रक्रिया में शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय में पहुँचाया जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

6. स्पर्म डोनर का विकल्प

यदि अशुक्राणुता का इलाज संभव नहीं है या शुक्राणु की पूरी तरह से अनुपस्थिति है, तो स्पर्म डोनर का सहारा लिया जा सकता है। स्पर्म डोनर से प्राप्त शुक्राणु का उपयोग IVF या आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन में किया जा सकता है, जिससे निसंतान दंपति को संतान का सुख मिल सकता है।

निसंतानता और फर्टिलिटी को कैसे बढ़ाएं?

  1. लाइफस्टाइल में बदलाव

स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से फर्टिलिटी में वृद्धि होती है। इसके लिए नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और पूरी नींद लेना आवश्यक होता है।

  1. तनाव को नियंत्रित करना

तनाव फर्टिलिटी को सीधे प्रभावित करता है। ध्यान, योग, और नियमित व्यायाम से तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है।

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

यदि आपको एक वर्ष से अधिक समय तक संतान प्राप्ति में समस्या हो रही है और उपरोक्त उपचार से भी लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक होता है।

निष्कर्ष

अशुक्राणुता या एजुस्पर्मिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो पुरुषों में बांझपन का कारण बनती है। हालांकि, इसका निदान और उपचार संभव है। समय पर परीक्षण, हार्मोनल उपचार, सर्जरी, IVF, और सही चिकित्सा से इस समस्या को दूर किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली और नियमित उपचार से फर्टिलिटी में सुधार संभव है, और इसका सकारात्मक असर परिवार की खुशियों पर पड़ता है। प्रत्येक दंपति के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें और अपनी व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर सही उपचार का चयन करें।

FAQs About Azoospermia in Hindi

क्या निल स्पर्म काउंट ठीक हो सकता है?
हाँ, कई मामलों में इलाज संभव है। कारण पर निर्भर करता है – अगर रुकावट है तो सर्जरी से ठीक किया जा सकता है, और हार्मोनल कारण हो तो दवाइयों से इलाज किया जाता है।
दो मुख्य कारण होते हैं: Obstructive Azoospermia – स्पर्म बाहर नहीं आ पाते क्योंकि रास्ता बंद होता है। Non-Obstructive Azoospermia – शरीर स्पर्म बनाना ही बंद कर देता है।
जी हाँ, बहुत बार इलाज संभव है। सर्जरी, दवाइयाँ या टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन (TESE) जैसी तकनीकों से समाधान मिलता है।
सिर्फ एक स्पर्म एनेलिसिस टेस्ट से ही यह पता चलता है। यह सेम्पल जांचकर डॉक्टर बताता है कि काउंट कम है या जीरो।
हाँ, अगर टेस्टिस में स्पर्म बन रहे हैं लेकिन बाहर नहीं आ पा रहे, तो IVF/ICSI तकनीकों से पिता बना जा सकता है।

FAQs About Azoospermia in Hindi

क्या निल स्पर्म काउंट ठीक हो सकता है?
हाँ, कई मामलों में इलाज संभव है। कारण पर निर्भर करता है – अगर रुकावट है तो सर्जरी से ठीक किया जा सकता है, और हार्मोनल कारण हो तो दवाइयों से इलाज किया जाता है।
दो मुख्य कारण होते हैं: Obstructive Azoospermia – स्पर्म बाहर नहीं आ पाते क्योंकि रास्ता बंद होता है। Non-Obstructive Azoospermia – शरीर स्पर्म बनाना ही बंद कर देता है।
जी हाँ, बहुत बार इलाज संभव है। सर्जरी, दवाइयाँ या टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन (TESE) जैसी तकनीकों से समाधान मिलता है।
सिर्फ एक स्पर्म एनेलिसिस टेस्ट से ही यह पता चलता है। यह सेम्पल जांचकर डॉक्टर बताता है कि काउंट कम है या जीरो।
हाँ, अगर टेस्टिस में स्पर्म बन रहे हैं लेकिन बाहर नहीं आ पा रहे, तो IVF/ICSI तकनीकों से पिता बना जा सकता है।

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