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लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) एक उन्नत तकनीक है जो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) प्रक्रिया के दौरान भ्रूण के गर्भाशय में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण को आसान बनाने के लिए उपयोग की जाती है। जब एक भ्रूण का निर्माण होता है, तो उसके चारों ओर एक प्रोटीन की पतली परत होती है, जिसे “ज़ोना पेलुसिडा” कहा जाता है। इस परत का कार्य भ्रूण को उसके शुरुआती विकास के चरण में सुरक्षा प्रदान करना होता है।
लेजर असिस्टेड हैचिंग प्रक्रिया क्यों जरूरी होती है?
कभी-कभी कुछ भ्रूणों की बाहरी परत, जिसे “ज़ोना पेलुसिडा” कहा जाता है, बहुत मोटी या कठोर होती है। ऐसी स्थिति में भ्रूण का गर्भाशय की दीवार से चिपकना मुश्किल हो सकता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। यही वह स्थिति है, जहाँ लेजर असिस्टेड हैचिंग मददगार साबित होती है,और गर्भधारण की संभावना बढ़ाता है।
LAH प्रक्रिया कैसे काम करती है?
LAH प्रक्रिया बहुत सरल होती है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है
- आईवीएफ तैयारी: महिला को प्रजनन हार्मोन दिए जाते हैं ताकि अंडाणुओं का विकास हो सके। अंडाणु निकाले जाते हैं।
- निषेचन: निकाले गए अंडाणुओं को शुक्राणुओं के साथ मिलाकर भ्रूण का विकास किया जाता है।
- भ्रूण अवलोकन: भ्रूण के विकास की निरंतर निगरानी की जाती है, आमतौर पर 3 से 5 दिन बाद प्रत्यारोपण के लिए तैयार किया जाता है।
- लेजर का उपयोग: भ्रूण की बाहरी परत (ज़ोना पेलुसिडा) पर एक सटीक लेजर से एक छोटा कट बनाया जाता है, जिससे उसे गर्भाशय में आसानी से प्रवेश करने में मदद मिलती है।
- भ्रूण का प्रत्यारोपण: लेजर के बाद, भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
- गर्भावस्था की निगरानी: प्रत्यारोपण के बाद डॉक्टर गर्भावस्था के संकेतों की जांच करते हैं।
लेजर असिस्टेड हैचिंग कब इस्तेमाल की जाती है?
लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) प्रक्रिया आमतौर पर निम्नलिखित परिस्थितियों में उपयोग की जाती है:
- महिला की उम्र: जब महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक होती है, तो उसके अंडाणुओं की गुणवत्ता में कमी आ सकती है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। इस स्थिति में LAH मददगार साबित हो सकता है।
- असफल आईवीएफ प्रयास: यदि किसी दंपती ने कई बार आईवीएफ प्रक्रिया की है और सफलता नहीं मिली है, तो LAH का उपयोग उनकी गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
- भ्रूण की बाहरी परत: जब भ्रूण की बाहरी परत (ज़ोना पेलुसिडा) अत्यधिक मोटी होती है, तो यह गर्भाशय में चिपकने में बाधा डाल सकती है। LAH इस परत को कमजोर करने में मदद करती है, जिससे भ्रूण का प्रत्यारोपण आसान हो जाता है।
- भ्रूण का विकास: यदि भ्रूण का विकास धीमा हो रहा है या उसकी गुणवत्ता सामान्य से कम है, तो LAH तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि भ्रूण को बेहतर स्थिति में स्थापित किया जा सके।
लेजर असिस्टेड हैचिंग के लाभ:
सटीकता और सुरक्षा:यह प्रक्रिया में लेजर तकनीक की सटीकता सुनिश्चित करती है कि भ्रूण की बाहरी परत पर केवल आवश्यक स्थान पर कट बनाया जाए। यह सटीकता भ्रूण को कम से कम नुकसान पहुँचाती है, जिससे उसकी प्राकृतिक विकास क्षमता बनी रहती है।
तेज प्रक्रिया: यह प्रक्रिया आमतौर पर कुछ मिनटों में पूरी होती है,क्योंकि लेजर का उपयोग बहुत सटीक और त्वरित तरीके से किया जाता है। यह प्रक्रिया IVF के अन्य चरणों की तुलना में अपेक्षाकृत तेजी से होती है, जिससे उपचार का समय कम होता है।
गर्भधारण की संभावना बढ़ाता है:यह प्रक्रिया उन दंपतियों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है जिनके आईवीएफ प्रयास कई बार असफल हुए हों।यह भ्रूण को गर्भाशय में आसानी से चिपकने में मदद करती है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है।
क्या लेजर असिस्टेड हैचिंग सुरक्षित है?
हां, लेजर असिस्टेड हैचिंग एक सुरक्षित और प्रभावी तकनीक है। इसे उच्च प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, और इसके दुष्प्रभाव बहुत कम होते हैं। फिर भी,हर जोड़े की स्थिति अलग हो सकती है, इसलिए इसे अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिए।
निष्कर्ष
लेजर असिस्टेड हैचिंग (LAH) उन जोड़ों के लिए एक मददगार तकनीक है जो आईवीएफ के जरिए संतान प्राप्ति का प्रयास कर रहे हैं। यह आधुनिक तकनीक भ्रूण के प्रत्यारोपण को आसान बनाती है और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाती है। अगर आप या आपके जानने वाले इस प्रक्रिया पर विचार कर रहे हैं, तो निःसंतानता विशेषज्ञ से सलाह लेकर सही जानकारी प्राप्त करें।
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