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शुक्राणुओं की संख्या कितनी होनी चाहिए

शुक्राणुओं की संख्या कितनी होनी चाहिए एवं कैसे बढ़ाये ? - Neelkanth IVF

Shukranu Kaise Badhaye | Shukranu Kitne Hone Chaiye

जब भी किसी जोड़े को गर्भधारण में परेशानी होती है, तो अक्सर चर्चा होती है शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता के बारे में। शुक्राणु की संख्या का सीधा प्रभाव गर्भधारण की प्रक्रिया पर पड़ता है, इसलिए इसे बढ़ाना और सुधारना आवश्यक हो सकता है। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि शुक्राणु की संख्या कैसे बढ़ाई जा सकती है और गर्भधारण के लिए आदर्श शुक्राणु संख्या कितनी होनी चाहिए।

शुक्राणु की संख्या क्या होती है?

शुक्राणु की संख्या एक पुरुष के वीर्य (semen) में मौजूद शुक्राणुओं की कुल संख्या को दर्शाती है। एक सामान्य शुक्राणु संख्या 15 मिलियन से 200 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर होती है। यदि शुक्राणु संख्या इससे कम होती है, तो इसे कम शुक्राणुता  (low sperm count) या ऑलिगोस्पर्मिया (oligospermia) कहा जाता है, जो गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकता है।

शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या का संबंध

केवल शुक्राणु की संख्या ही गर्भधारण की संभावना को प्रभावित नहीं करती, बल्कि उसकी गुणवत्ता, जैसे गतिशीलता (motility), आकार और रूप भी महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए, यदि संख्या ठीक है लेकिन गुणवत्ता में कमी है, तो भी गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।

शुक्राणु की संख्या पर प्रभाव डालने वाले कारक

आहार और जीवनशैली

आपके आहार और जीवनशैली का शुक्राणु संख्या पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक अस्वस्थ आहार, जैसे अत्यधिक फैट्स और शक्कर, शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके बजाय, संतुलित आहार में विटामिन्स, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट्स शामिल होने चाहिए।

तनाव और मानसिक स्थिति

मानसिक तनाव भी शुक्राणु की संख्या को प्रभावित कर सकता है। ज्यादा तनाव से कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जो शुक्राणु उत्पादन को घटाता है।

उम्र का प्रभाव

उम्र के साथ शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। आमतौर पर, पुरुषों में 40 वर्ष की उम्र के बाद शुक्राणु संख्या और गुणवत्ता में कमी देखी जाती है।

पर्यावरणीय प्रभाव

पर्यावरणीय कारक, जैसे प्रदूषण, गर्मी, और रसायनों का संपर्क, शुक्राणु स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। उच्च तापमान वाले वातावरण में ज्यादा समय बिताने से शुक्राणु उत्पादन में कमी आ सकती है।

शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए आहार में बदलाव

  1. विटामिन और खनिजविटामिन C, E, और B12 जैसे विटामिन शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या को सुधार सकते हैं। इसके अलावा, जिंक और सेलेनियम जैसे खनिज भी शुक्राणु के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
  2. एंटीऑक्सिडेंट्स और ओमेगा-3 फैटी एसिड्सएंटीऑक्सिडेंट्स (जैसे बीटा कैरोटीन और लाइकोपीन) और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स (जैसे मछली का तेल) शुक्राणुओं की गतिशीलता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
  3. जिंक और फोलिक एसिडशुक्राणु की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए जिंक का सेवन महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, फोलिक एसिड भी शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ा सकता है।

व्यायाम और शुक्राणु की संख्या Exercise & Sperm

  1. नियमित व्यायाम का महत्वनियमित व्यायाम शुक्राणु की संख्या को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और शरीर में अच्छे हार्मोनल संतुलन को बनाए रखता है।
  2. योग और ध्यानयोग और ध्यान से तनाव कम होता है, जो शुक्राणु की संख्या को बढ़ाने में मदद कर सकता है। विशेष रूप से प्राणायाम और योगासनों से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है।

ओवरएक्सरसाइज और शुक्राणु संख्या

हालांकि व्यायाम फायदेमंद है, अधिक व्यायाम (overtraining) से शरीर में तनाव बढ़ सकता है, जो शुक्राणु की संख्या को घटा सकता है।

शराब, तंबाकू और ड्रग्स का असर

शराब और तंबाकू के प्रभाव

शराब और तंबाकू का सेवन शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इनसे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन में कमी आ सकती है।

अन्य दवाओं का असर शुक्राणु पर

कुछ दवाइयाँ, जैसे स्टेरॉयड, भी शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं। यदि आप दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से इस विषय में सलाह लें।

शुक्राणु की गुणवत्ता का सुधार

शुक्राणु की गतिशीलता और रूप motility of Sperm in Hindi

शुक्राणु की गतिशीलता (motility) और आकार (morphology) गर्भधारण में सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। अच्छे आकार और गतिशीलता वाले शुक्राणु गर्भधारण की संभावना बढ़ाते हैं।

शुक्राणु के स्वास्थ्य में सुधार

संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और मानसिक शांति से शुक्राणु के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

गर्भधारण के लिए शुक्राणुओं की संख्या कितनी होनी चाहिए? Shukranu Kitne Hone Chaiye

गर्भधारण के लिए शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन से कम नहीं होनी चाहिए। 15-40 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर आदर्श होते हैं। हालांकि, शुक्राणु की गुणवत्ता भी गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

शुक्राणु की संख्या कम होने पर क्या करें? Shukranu Kam Hone Pr Kya Kre

यदि आपकी शुक्राणु संख्या कम है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वे टेस्ट कर सकते हैं और उपचार की योजना बना सकते हैं।

शुक्राणु की संख्या और प्रजनन तकनीक Sperm & Fertility Technique in Hindi

जब एक जोड़ा गर्भधारण करने में कठिनाई महसूस करता है, तो सबसे पहले शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता की जांच की जाती है। शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता सीधे तौर पर प्रजनन क्षमता पर प्रभाव डालते हैं, और इस कारण से प्रजनन तकनीकों का सहारा लिया जाता है। शुक्राणु की संख्या कम होने पर विभिन्न प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि शुक्राणु की संख्या कम होने पर कौन सी प्रजनन तकनीकें सहायक हो सकती हैं और ये कैसे काम करती हैं।

शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता का प्रजनन पर प्रभाव

शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता का सीधा प्रभाव महिला के अंडाणु तक पहुँचने की क्षमता पर पड़ता है। यदि शुक्राणु संख्या कम है या शुक्राणु स्वस्थ नहीं हैं (जैसे गतिशीलता कम हो, आकार में विकृति हो), तो यह गर्भधारण की संभावना को घटा सकता है। यदि शुक्राणु गुणवत्ता में समस्या हो, तो स्वाभाविक गर्भधारण में समस्या हो सकती है, और इस स्थिति में चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

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प्रजनन तकनीकें जो शुक्राणु की संख्या को ध्यान में रखते हुए लागू की जाती हैं

जब शुक्राणु की संख्या कम होती है या शुक्राणु में कोई अन्य समस्या होती है, तो निम्नलिखित प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है:

  1. आईवीएफ (IVF in Hindi – In Vitro Fertilization)

आईवीएफ एक प्रचलित प्रजनन तकनीक है, जिसमें महिला के अंडाणु को बाहर (लैब में) निषेचित किया जाता है। अगर पुरुष में शुक्राणु की संख्या कम है, तो भी आईवीएफ का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में, डॉक्टर महिला के अंडाणु को एकत्र करते हैं और फिर शुक्राणु को अंडाणु में निषेचित करते हैं।

आईवीएफ प्रक्रिया:

  • महिला से अंडाणु निकाले जाते हैं।
  • शुक्राणु को एकत्र किया जाता है (अगर संख्या कम है तो इसे एकत्र किया जाता है और विश्लेषित किया जाता है)।
  • अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है, जहां निषेचन (fertilization) होता है। अगर गतिशीलता कम हो तो ICSI तकनीक के द्वारा निषेचन होता है।
  • निषेचित अंडाणु (एंब्रायो) महिला के गर्भाशय में डाले जाते हैं।

आईवीएफ में मददगार:
इस प्रक्रिया में शुक्राणु की संख्या कम होने पर भी सफलता की संभावना बनी रहती है, क्योंकि लैब में अंडाणु और शुक्राणु को नियंत्रित वातावरण में निषेचित किया जाता है।

  1. आईसीएसआई (ICSI in Hindi – Intracytoplasmic Sperm Injection)

आईसीएसआई, आईवीएफ का एक विशेष रूप है, जिसमें एक स्वस्थ शुक्राणु को सीधे अंडाणु के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। यह तब किया जाता है जब शुक्राणु की संख्या बहुत कम हो या शुक्राणु की गतिशीलता (motility) कम हो। इस तकनीक में एक स्वस्थ शुक्राणु चुना जाता है और उसे महिला के अंडाणु के अंदर सीधे इंजेक्ट किया जाता है।

आईसीएसआई प्रक्रिया:

  • महिला से अंडाणु निकाले जाते हैं।
  • शुक्राणु का चयन किया जाता है, और इसे अंडाणु के अंदर इंजेक्ट किया जाता है।
  • इसके बाद, जैसे आईवीएफ में होता है, एंब्रायो (निषेचित अंडाणु) को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।

आईसीएसआई :
आईसीएसआई विशेष रूप से उन पुरुषों के लिए मददगार है जिनकी शुक्राणु की गुणवत्ता बहुत खराब हो, जैसे शुक्राणु की गतिशीलता या आकार में समस्या हो, और संख्या बहुत कम हो।

  1. आईयूआई (IUI in Hindi – Intrauterine Insemination)

आईयूआई प्रक्रिया में पुरुष का शुक्राणु महिला के गर्भाशय में सीधे डाला जाता है। यह तब किया जाता है जब शुक्राणु की संख्या कम होती है, लेकिन फिर भी शुक्राणु का निषेचन अंडाणु में हो सकता है। इस प्रक्रिया में, डॉक्टर शुक्राणु को महिला के गर्भाशय में विशेष उपकरण के जरिए डालते हैं, ताकि शुक्राणु सीधे अंडाणु तक पहुँच सके।

आईयूआई प्रक्रिया:

  • पुरुष से शुक्राणु का संग्रह किया जाता है।
  • शुक्राणु को प्रोसेस करके स्वस्थ शुक्राणु को अलग किया जाता है |
  • स्वस्थ शुक्राणु को महिला के ओवुलेशन के समय महिला के गर्भाशय में डाला जाता है।

आईयूआई में मददगार:
आईयूआई उन जोड़ों के लिए अच्छा विकल्प है जिनकी शुक्राणु की संख्या कम है, लेकिन शुक्राणु की गुणवत्ता और गतिशीलता अभी भी पर्याप्त है ताकि अंडाणु तक पहुँच सके।

  1. स्पर्म डोनेशन (Sperm Donation in Hindi)

जब पुरुष में शुक्राणु की संख्या बहुत कम होती है या वह शुक्राणु का उत्पादन नहीं कर पाता, तो स्पर्म डोनेशन एक विकल्प हो सकता है। इस प्रक्रिया में, एक डोनर से शुक्राणु लिया जाता है और इसे महिला के अंडाणु के साथ निषेचित किया जाता है (आईवीएफ या आईसीएसआई के माध्यम से)। स्पर्म डोनेशन तब किया जाता है जब पुरुष के पास पर्याप्त स्वस्थ शुक्राणु नहीं होते हैं, या उसकी शुक्राणु गुणवत्ता बहुत खराब होती है। IUI तकनीक में भी डोनर के शुक्राणु महिला के गर्भाशय में डाले जाते है।

स्पर्म डोनेशन:
यह प्रक्रिया उन पुरुषों के लिए उपयुक्त है जो किसी कारणवश शुक्राणु का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं या जिनके शुक्राणु बहुत खराब गुणवत्ता के हैं।

  1. स्पर्म बैंकिंग (Sperm Banking in Hindi)

यदि एक पुरुष को यह लगता है कि उसकी शुक्राणु संख्या घट सकती है (जैसे कि किसी चिकित्सा उपचार जैसे कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के कारण), तो वह पहले ही अपने शुक्राणु का संग्रहण करवा सकता है। इस प्रक्रिया को स्पर्म बैंकिंग कहते हैं, जिसमें पुरुष के शुक्राणु एकत्र कर उन्हें संग्रहित किया जाता है। बाद में, जब आवश्यकता होती है, तो इन संग्रहित शुक्राणुओं का उपयोग किया जा सकता है।

शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए इन प्रजनन तकनीकों का चयन

शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में कमी होने पर प्रजनन तकनीकें एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकती हैं। आईवीएफ, आईसीएसआई, आईयूआई, शुक्राणु दान और शुक्राणु संग्रहण जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से गर्भधारण की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए उचित उपचार और जीवनशैली में सुधार के साथ इन तकनीकों का उपयोग सफल हो सकता है। इन तकनीकों का चयन तब किया जाता है जब स्वाभाविक तरीके से गर्भधारण की संभावना नहीं होती। डॉक्टर शुक्राणु की संख्या, गुणवत्ता, और महिला की प्रजनन स्वास्थ्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सबसे उपयुक्त तकनीक का सुझाव देते हैं।

निष्कर्ष

शुक्राणु की संख्या बढ़ाने के लिए सही आहार, व्यायाम, और जीवनशैली का पालन करना आवश्यक है। यदि संख्या कम हो, तो चिकित्सकीय सलाह से समस्या का समाधान किया जा सकता है। शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाकर आप गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं।

 

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